Air Pollution: दिल्ली की आबोहवा हुई खराब तो अकेला हरियाणा ही क्यों जिम्मेदार

Delhi News: दिल्ली (Delhi AQI) में हवा में प्रदूषण खतरनाक लेवल को भी पार कर चुका है और लोगों की जान पर बन आई है। वहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 3 नवंबर को शाम 5 बजे 446 था जो कि बेहद खतरनाक स्थिति है। तो वहीं हरियाणा व पंजाब मामले को लेकर पूरे मामले पर एक बार फिर से आमने सामने हैं।
 

Air Pollution: दिल्ली (Delhi AQI) में हवा में प्रदूषण खतरनाक लेवल को भी पार कर चुका है और लोगों की जान पर बन आई है। वहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 3 नवंबर को शाम 5 बजे 446 था जो कि बेहद खतरनाक स्थिति है।

तो वहीं हरियाणा व पंजाब मामले को लेकर पूरे मामले पर एक बार फिर से आमने सामने हैं। जहां इस प्रदूषण के लिए दिल्ली (Delhi Pollution) की तरफ से हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था तो अबकी बार पूरा ठीकरा हरियाणा के ही सिर फोड़ दिया है।

अपने यहां पराली जलाने से रोकने के ठीक ठाक इंतजाम करने में असफल पंजाब के पास हरियाणा की आलोचना व जिम्मेदार ठहराने का पुराना राग ही है। कई राज्यों में विधानसभा व स्थानीय निकाय के चुनाव भी हैं तो इनको देखते हुए कहीं न कहीं मामले को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। 

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मामले में राजनीतिक फायदे के लिए AAP का दोहरा स्टैंड

देश की राजधानी दिल्ली और पंजाब दोनों जगह पंजाब की सरकार है। हरियाणा का आरोप है कि पहले तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बढ़ते वहां बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों को जिम्मेदारी ठहराते थे। वो आरोप लगाते थे कि पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने के चलते दिल्ली की आबोहवा में जहर घुलता है।

चूंकि अब पंजाब में भी उनकी ही पार्टी की सरकार तो अब वो केवल हरियाणा को दिल्ली के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ऐसे में कहीं ने कहीं ये तो साफ है कि इतने गंभीर मामले में भी राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। 

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जानिए हरियाणा ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए क्या इंतजाम किए

सीएम मनोहर लाल द्वारा साफ किया जा चुका है कि हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व प्रणाली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है।

किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसान करनाल और पानीपत के इथिनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2  हज़ार रूपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

अगर किसान किसी गौ शाला में पराली ले जाता है तो उसे 1500 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रुपये तक पुरस्कार देती है। पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था।

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हरियाणा में पराली जलाने के मामले में फीसद घटे, पंजाब में 20 फीसद बढ़े

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ है कि हरियाणा ने पराली जलाने के मामलों अंकुश लगाने के मामलों पर काफी हद तक सफलता पाई है।  इस साल 2022 में अब तक हरियाणा में पराली जलाने की महज 2249 घटनाएं सामने आई हैं जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पंजाब में अब तक पराली जलाने की 21500 घटनाएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की तरह पंजाब को भी पराली प्रबंधन के इंतजाम करने चाहिए। ऐसे में अंतर साफ है कि किस राज्य ने इस दिशा में कितने प्रयास किए हैं।

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दिवाली के बाद हरियाणा में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के 25 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 10 मिनट के डाटा के अनुसार  प्रदेश के गुरुग्राम, मानेसर और चरखी दादरी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर तो फरीदाबाद समेत कई अन्य जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 से ऊपर था।

अब लगातार यहां एक्यूआई 300 से ऊपर है। गुरुग्राम में ये 3 नवंबर को 419 दर्ज किया गया। प्रदेश के अन्य जिलों में भी एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर पर है। हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार सरकार व प्राइवेट दोनों तरह के स्वास्थ्य संस्थानों में सांस के रोगियों की ओपीडी में इजाफा देखने को मिला।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार आतिशबाजी के चलते हवा में प्रदूषण कुछ हद तक रहेगा और ऐसे में इस लिहाज से सांस के रोगियों को बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए। अगर निकलना पड़े तो मास्क का इस्तेमाल करें और घर आने पर स्टीम लें ताकि किसी तरह की दिक्कत नहीं आए। 

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जानिए कैसे जानें हवा की गुणवत्ता एक्यूआई के आधार पर 

एक्यूआई यानी की हवा की गुणवत्ता को 6 कैटेगरी में रखा गया है। अगर एक्यूआई 0 से 50  के बीच है तो इसको गुड यानी कि अच्छा माना जाता है। वहीं अगर इसका लेवल 50 से 100 प्वाइंट के बीच है तो सेटिसफेक्टरी यानी कि संतोषजनक कहा जाता है।

अगर ये 100 से 150 प्वाइंट के बीच है तो इसको मोडरेट क्वालिटी कहा जाएगा जो कि थोड़ा ज्यादा है। वहीं अगर ये एक्यूआई 150 से 200 के बीच है तो पुअर या कहें कि हवा की गुणवत्ता खराब मानी जाता है। इसके बाद अगर एक्यूआई का लेवल 200 से 300 के बीच है तो वैरी पूअर यानी कि बेहद खराब हवा की गुणवत्ता कहा जाएगा।

इसके बाद अगर एक्यूआई 300 प्वाइंट से ज्यादा है तो इसको बेहद खतरनाक माना जाता है। 200 प्वाइंट से ज्यादा एक्यूआई सांस या दिल या अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए बेहद ही खतरनाक है और उनको अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। 

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