Jakhal News : जाखल में पांच वर्षो से निर्माणाधीन रेलवे अंडरब्रिज की लागत 8 करोड़ से बढ़कर साढ़े 15 करोड़ से अधिक तक पहुंचीं
जाखल। रेलवे विभाग के निर्माण विंग में गड़बड़झाला या फिर अफसरों की उपेक्षा! जाखल में लगभग पांच वर्षो से निर्माणाधीन रेलवे अंडरब्रिज के निर्माण का एस्टिमेट दो गुना तक बढ़ा दिया गया हैं। दरअसल अंडरब्रिज का निर्माण मुकम्मल करने हेतु शुरुआत में लगभग पांच साल पहले एक निर्माण एजेंसी ने जितनी राशि से टेंडर लिया था।
उसके एस्टीमेट रिवाइज से एजेंसी को दूसरी बार भी करोड़ों रुपए अतिरिक्त बजट राशि जारी करने के बाद भी पिछले 5 साल में आरयूबी का अमूमन 60 से 70 फीसद कार्य कर ठेकेदार पैसे कम रहने का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर गया है। अचरज की बात ये है कि पूर्व निर्माण एजेंसी पर बगैर कोई ठोस कार्यवाही करने की अपेक्षा आरयूबी का निर्माण संपन्न करने के लिए सरकार ने अब तीसरी बार फिर पांच करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी हैं। ऐसे में आरयूबी निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आ रही हैं।
एस्टीमेट रिवाइज से सरकार ने दिए थे 2.63 करोड़ रुपए
हुआ यूं कि इसके थोड़े समय बाद ठेकेदार ने रुपए कम रहने का रोना रोते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग से माध्यम से सरकार से 2.63 करोड रुपए की अतिरिक्त डिमांड की थी। जिसके बाद सरकार ने ये डिमांड पूरी कर पैसा जारी कर दिया था। आश्चर्यजनक बात ये है कि उसके बाद भी करीबन 60, 70 फीसद कार्य होने पर कार्य को बंद कर लावारिस हालत में छोड़ दिया गया। कारण, ठेकेदार ने पुन फिर बजट कम रहने का तर्क दिया।
सांसद दुग्गल के समक्ष लोगों ने रखा था ये मुद्दा
गत वर्ष सितंबर माह में सांसद सुनीता दुग्गल विकास एवं निर्माण कार्यों को गति प्रदान करने के लिए जाखल में समीक्षा करने पहुंचीं थी। उस दौरान अधिकारियों की बैठक में लोगों ने उनके समक्ष पांच साल से लंबित निर्माणाधीन रेलवे अंडरब्रिज का मुद्दा उठाया था। इस पर उन्होंने अधिकारियों की बैठक में उपस्थित पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सआईएन से मौके पर जवाबदेही की तो उन्होंने सांसद को बताया कि 8 करोड रुपए से हुई निविदा से इस कार्य के लिए एस्टीमेट रिवाइज कर 2.63 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि यानि 10.63 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
अधिकारी ने उन्हें बताया कि आरयूबी के मुकम्मल निर्माण के लिए 5 करोड रुपए की और आवश्यकता है। इसपर हालांकि सांसद ने हैरानी व्यक्त करते हुए इस मामले की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन अब सरकार द्वारा दोबारा से इसके शेष पड़े कार्य के टेंडर के लिए 5 करोड रुपए राशि जारी कर दी गई है।
गहराई से जांच हो तो सामने आ सकता हैं बड़ा खेल
वैसे नियमों पर ध्यान दे तो निविदा अलॉट होने के बाद कार्य को इतने लंबे समय तक लंबित रखना जनहित में नहीं है। इसमें अधिकारियों की कार्यशाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। यदि जिम्मेदार अधिकारी अपने दायित्व का बखूबी निर्वहन कर सख्ती से पेश आकर, निर्माण कार्य के दौरान नियमित मॉनिटरिंग कर निर्धारित समय अवधि में कार्य को मुकम्मल करा देते तो शायद एस्टीमेट रिवाइज करने, वो भी छोड़े तो इसके मुकम्मल कार्य हेतु करोड़ों रुपए का दोबारा टेंडर जारी करने की आवश्यकता ही ना पड़ती।
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ठेकेदार पर अनुबंध की शर्तों अनुसार अर्थ दंड लगाकर वसूली की जानी चाहिए थी। क्योंकि ऐसा कर जनता की गाड़ी कमाई का दुरुपयोग किया गया है। जानकार सूत्रों का मानना हैं कि यदि रिवाइज एस्टीमेट व पुन टेंडर अलॉट करने के इस मामले की गहराई से जांच की जाएं तो बड़ा खेल उजागर हो सकता हैं।
टेंडर जारी होने के बाद तय समय अवधि में काम पूरा क्यों नहीं?
टेंडर राशि को बार-बार बढ़ाने से रेलवे के इंजीनियरिंग सेल ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाया हैं। प्रश्न ये है कि 5 सालों से निर्माणाधीन इस अंडर ब्रिज के निर्माण को लेकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई या फिर समय अवधि तय होने के बाद इसकी देखरेख के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस कार्य को गंभीरता से नहीं लिया गया। शहर के गणमान्य नागरिकों का कहना है कि होना यूं था कि अंडरपास निर्माण का टेंडर लेने के बाद कार्य अधर में छोड़ने वाले ठेकेदार के भुगतान पर रोक लगानी चाहिए थी , लेकिन इस मामले में ऐसी कोई कार्यवाही की नज़र नहीं आई।
8 करोड़ का टेंडर अब पहुंचा 15.63 करोड़ रुपए तक
निविदा एजेंसी के एस्टीमेट रिवाइज व पुन टेंडर की डिमांड को सरकार ने पूरा कर दिया। जिसके बाद इसकी लागत राशि करीबन 15.63 करोड़ तक पहुंच गई है। चुनावी वर्ष होने के कारण जनता की वाहवाही बटोरने के लिए करीब 5 वर्षों से लंबित निर्माणधीन अंडरपास के लिए सरकार ने तीसरी बार राशि जारी कर दी है।
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रेलवे का तर्क
8 करोड़ से बनने वाले अंडरपास का बजट करीब 90 फीसद बढ़ाने में तीसरी बार अतिरिक्त राशि मांगने के पीछे रेलवे का तर्क है कि टेंडर हायर रेट पर छुटा था। जिससे एस्टीमेट रिवाइज करना पड़ा, इतना ही नहीं विभाग ने ड्राइंग चेंज होने तथा साइट पर स्थितियों अनुमान से अलग होने का हवाला देते हुए अब सरकार से और रुपए मांगे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में रेलवे लोक निर्माण विंग के इंस्पेक्टर एस.के. छोक्कर से बात की गई तो उन्होने कहा कि शुरुआत में टेंडर आठ करोड़ का हुआ था। रेलवे की जगह के पैसे नहीं लिए गए थे, इसलिए एस्टीमेट रिवाइज किया था। पहले वाली एजेंसी ने बजट कम होने के कारण काम बीच में छोड़ दिया था, अब नई निर्माण एजेंसी को पांच करोड़ रुपए से टेंडर अलॉट किया गया है। दुग्गल द्वारा जांच के आदेश के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए उनके पास अभी तक ऐसे कोई आदेश नहीं हैं।
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