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JE Recruitment News: हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज किया, हरियाणा में 1259 जूनियर इंजीनियर की भर्ती को हरी झंडी

JE Recruitment News: हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज किया, हरियाणा में 1259 जूनियर इंजीनियर की भर्ती को हरी झंडी
Haryana JE Recruitment News: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने जूनियर इंजीनियर के 1259 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। लिखित परीक्षा के रिजल्ट को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी, जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है।  

चंडीगढ़। Haryana JE Recruitment News: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार और कर्मचारी चयन आयोग (SSC) को राहत देते हुए जूनियर इंजीनियर के 1259 पदों की भर्ती को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस फैसले से चयनित अभ्यर्थियों के चेहरे पर मुस्कान आना लाजमी है। 

हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पांच प्रश्नों पर आपत्ति दर्ज की गई थी, जिसमें से दो को विशेषज्ञों ने मंजूर किया था। इससे साफ दिखाई देता है कि इन आपत्तियों पर खुले मन से विचार किया गया था।

इस प्रकार की स्थिति में विशेषज्ञों की राय से अलग जाना ठीक नहीं है।

इस फैसले के साथ ही जेई भर्ती को हरी झंडी देते हुए कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी है। 

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याचिका दर्ज करते समय उम्मीदवार रिषभ और अन्य उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट को बताया था कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 15 जून 2019 को जूनियर इंजीनियर के 1259 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था।

इसके बाद 1 सितंबर, 2019 को लिखित परीक्षा आयोजित की गई और 5 सितंबर, 2019 को आंसर-की जारी कर आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया गया था।

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याचिकाकर्ताओं ने 5 प्रश्नों को लेकर आपत्ति दर्ज की थी, जिसे आयोग ने विशेषज्ञों के पास भेज दिया। विशेषज्ञों ने दो आपत्तियों को स्वीकार किया, जबकि 3 को खारिज कर दिया।

दो आपत्तियों को सुधार कर आयोग के द्वारा नई आंसर-की  जारी कर दी गई थी। वहीं, इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने बाकी के 3 प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर दी थी।

पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि रणविजय सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि यदि विशेषज्ञों पर कोई आरोप नहीं है, तो अदालतों को उनकी राय को मंजूर करना चाहिए।

साथ ही यदि किसी प्रश्न को लेकर विशेषज्ञों के बीच असमंजस की स्थिति है तो इसका लाभ आयोग को जाएगा न कि आवेदकों को।

अदालतें हर विषय की विशेषज्ञ नहीं हो सकती हैं और ऐसे में विशेषज्ञों की राय के साथ चलना ही बेहतर विकल्प है।

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