Mahakal Corridor Project: जानिए क्यों चर्चा में है महाकाल कॉरिडोर, क्या है इसकी खासियत?
उज्जैन न्यूज। Ujjain Mahakal Corridor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उज्जैन में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में तीसरे ज्योर्तिलिंग 'श्री महाकाल लोक' के कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर बसे उज्जैन का श्री महाकाल लोक, भोले के भक्तों के स्वागत के लिए तैयार है। अब पार्किंग से लेकर महाकाल दर्शन तक पहुंचने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे। यहां एक घंटे में 30 हजार लोग दर्शन कर सकेंगे। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
क्यों खास है उज्जैन नगरी
शिप्रा नदी के तट पर बनी हुई है। इसे पहले उज्जैयिनी और अवंतिका के के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर प्रख्यात राजा विक्रमादित्य राज करते थे। मेगा प्रॉजेक्ट पूरा होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर कॉम्प्लेक्स का क्षेत्र 2.87 हेक्टेयर से बढ़कर 47 हेक्टेयर हो जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की ओर से पूरे परिसर की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी। नंदी द्वार के निकट एक इमरजेंसी गेट है, जिसे जरूरत पड़ने पर बड़े वाहनों की आवाजाही के लिए बनाया गया है।
मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना 856 करोड़ रुपये की?
आपको बता दें 900 मीटर से अधिक लंबा महाकाल लोक कॉरिडोर, पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है। उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्विकास करने की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना 856 करोड़ रुपये की है और राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित है। कॉरिडोर के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉरिडोर के शुरूआती बिंदु के पास बनाए गए हैं। जो प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं और रास्तेभर मनमोहक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। पार्किंग के ठीक सामने पिनाक द्वार है और उसके समीप स्थित है त्रिवेणी संग्रहालय। त्रिवेणी पुरातत्व संग्रहालय में त्रिवेणी कला, महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रन्थ व साहित्यिक रचनाओं को रखा गया है। महाकाल लोक के दाहिनी तरफ कमल ताल, शिव स्तंभ, सप्तऋषि परिसर, पब्लिक प्लाजा और नवग्रह परिसर बनाये गये हैं। यहां पर बैठक व्यवस्था की गई है। कमल ताल में शिव की 25 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई गई है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से बड़ा है महाकाल कॉरिडोर
बता दें उज्जैन महाकाल का कॉरिडोर का आकार बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर से बड़ा है। कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, महाकाल प्लाजा, मिडवे जोन, महाकाल थीम पार्क, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किए जा रहे हैं। प्रसाद आदि खरीदने के लिए परिसर में ही दुकानें भी रहेंगी। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा, रुद्र सागर जीर्णोद्धार, छोटा रुद्र सागर झील के किनारे, राम घाट का सौंदर्यीकरण, पार्किंग एवं पर्यटन सूचना केंद्र, हरि फाटक पुल व रेलवे अंडरपास का चौड़ीकरण, रुद्र सागर पर फुटब्रिज, महाकाल गेट, बाग-बाग मार्ग, रुद्र सागर पश्चिमी सड़क और महाकाल एक्सेस रोड को लिया जाएगा।
लगभग 190 मूर्तियां और 108 स्तंभ
बताया जा रहा है कि कॉरिडोर प्रोजेक्ट में एक विशाल मंडप शामिल है। जिसका नाम त्रिवेणी मंडपम है। इसके केंद्र में भगवान शिव की मूर्ति के साथ एक विशाल फव्वारा है। अन्य फव्वारे रुद्रसागर झील से सटे हैं। लगभग 190 मूर्तियां, भगवान शिव और अन्य देवताओं के विभिन्न रूपों को दशार्ती हैं, जो गलियारे के किनारे पर स्थित हैं। इस स्थान पर बाबा महाकाल के दर्शन करने आए श्रद्धालु माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के भी दर्शन कर सकते हैं।
वहीं महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को 108 स्तंभों पर बनाया गया है। 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। इन स्तंभों पर शिव के आनंद तांडव स्वरूप को उकेरा गया है। महाकाल पथ के साथ भगवान शिव के जीवन से जुड़े वृतांत बताने वाली कई मूर्तियां लगाई गई हैं। यह कॉरिडोर सुंदर लाइटिंग और मूर्तियों से सजा हुआ है।
प्रवेश द्वार पर होंगे नन्दी के दर्शन
आपको बता दें पूरे कॉरिडोर में देश की सबसे लम्बी भित्ति चित्र वाली दीवार है। भित्ति चित्र दीवार पर शिव पुराण की कहानियां चित्रित हैं। जैसे कि भगवान गणेश का जन्म, सती की कहानी, दक्ष की कहानी आदि। महाकाल लोक में प्रवेश करने के पहले नन्दी द्वार बनाया गया है। द्वार के बाहरी हिस्से में भगवान गणेश के दर्शन होते हैं। प्रवेश द्वार पर नन्दी की विशाल प्रतिमा बनाई गई है, जो कि अत्यन्त आकर्षक लगती है। इस कॉरिडोर में एक हजार साल प्राचीन दुर्लभ कला भी दिखाई देगी।
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ई-कार्ट की व्यवस्था नि:शुल्क
कॉरिडोर में एक तरफ पैदल पथ और दूसरी तरफ ई-कार्ट पथ, बच्चे, वृद्ध, दिव्यांग और महिलाओं के लिये ईकार्ट की व्यवस्था नि:शुल्क की गई है। 12 मीटर चौड़ा पथ पैदल चलने वालों के लिए है। अन्य 12-मीटर पथ 53 भित्ति चित्रों वाली दीवार से सटा है। यह पथ ई-वाहन (11-सीटर गोल्फ कार्ट), एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड वाहन चलाने के लिए है। जो कॉरिडोर के अंदर रहेंगे। पैदल चलने वाले हिस्से में जमीन पर कॉबल्ड स्टोन लगा है।
कॉरिडोर निर्माण का काम दो चरणों हो रहा?
बता दें कि महाकाल कॉरिडोर निर्माण का काम दो चरणों में किया जा रहा है. महाकाल विस्तारीकरण योजना के तहत पहले फेज में तैयार महाकाल पथ, रुद्र सागर और यूडीए के यात्री सुविधा केंद्र का लोकार्पण किया जाएगा। इसके बाद महाकाल कॉरिडोर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। ऐसी रिपोर्ट है कि सुविधा केंद्र में लगभग चार हजार श्रद्धालु रह सकते हैं। केंद्र में 6000 मोबाइल लॉकर के अलावा सामान रखने वाला एक क्लास रूम भी होगा। पहले चरण को 316 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है।
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कॉरिडोर में बनाई जा रही मूर्तियों की कीमत लगभग 45 करोड़
गुजरात और राजस्थान के कलाकार यहां सप्तऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध के साथ नंदी की विशाल प्रतिमा देख सकेंगे। मूर्तियों और शिव कथाओं के बारे में गहराई से जानना चाहते हैं, तो क्यूआर कोड स्कैन करना होगा। इस स्मार्ट योजना के तहत कॉरिडोर में बनाई जा रही मूर्तियों की लागत लगभग 45 करोड़ है। जिसे गुजरात और राजस्थान के कलाकार मूर्त रूप दे रहे हैं। राजस्थान में बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग उन संरचनाओं के निर्माण के लिए किया गया है, जो इस कॉरिडोर की शोभा बढ़ाते हैं।
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कॉरिडोर में 18,000 बड़े पौधे रोपित किए गए
राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के कलाकारों एवं शिल्पकारों ने मुख्य रूप से पत्थरों को तराशकर और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। कॉरिडोर में 18000 बड़े पौधे लगाए गए हैं। इसके लिए आंध्र प्रदेश से रुद्राक्ष, बेलपत्र और शमी के पौधे मंगाए गए हैं। कॉरिडोर को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि एक लाख लोगों की भीड़ होने पर भी श्रद्धालुओं को 30 से 45 मिनट में दर्शन हो जाएंगे।
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