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Gehun Mein Patti Roli Rog: गेहूं की फसल को वाली पट्टी रोली रोग से कैसे बचाएं, जानें क्‍या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

Gehun Mein Patti Roli Rog: गेहूं की फसल को वाली पट्टी रोली रोग से कैसे बचाएं, जानें क्‍या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
Patti roli disease in wheat: हरियाणा में किसानों को इन दिनों गेहूं की फसल में पट्टी रोली रोग का सामना करना पड़ रहा है। आज हम बताएंगे कि इस रोग की पहचान कैसे करें। साथ ही कृषि वैज्ञानिक की सलाह से बताएंगे कि इसका उपचार कैसे करें ताकि फसल को नुकसान न हो।

अम्‍बाला। Gehu ki Kheti Mein Patti Roli Rog : हरियाणा के ज्यादातर किसान अपने खेत में गेहूं की खेती करते हैं. गेहूं की फसल से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसान को कई तरह के कार्यों को करना पड़ता है। जिसमें सबसे अधिक पट्टी रोली रोग का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। गेहूं की फसल में किसानों की इस परेशानी को समझते हुए कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में लगने वाले पट्टी रोली रोग से जुड़ी महत्वूपर्ण जानकारी साझा की है।

पत्तियां भी हो रही पीली

गेहूं में पीली पत्ती का रोग कोई रोग नहीं, बल्कि यह ज़िंक की कमी के कारण पेड़ में पूरे पौष्टिक तत्व नहीं मिलने के कारण होता है। इसके लिए प्रति एकड़ में बुआई के समय दस किलो ज़िंक डालनी चाहिए। फिलहाल आधा किलो ज़िंक व ढाई किलो यूरिया का घोल को 100 लीटर पानी में डालकर पंप से गेहूं की फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इससे पीली पत्ती का पीलापन खत्म हो जाएगा। 

उपज में गिरावट हो सकती है

किसान अगर समय पर गेहूं की फसल में पट्टी रोली रोग का उपचार नहीं करते हैं, तो यह रोग उपज में भारी गिरावट का मुख्य कारण बन सकता है।

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इसलिए इस रोग के बारे में जानकारी होना जरूरी है।

पट्टी रोली रोग के लक्षण

गेहूं की फसल में जब यह रोग लग जाता है, तो फसल कि पत्तियों का रंग फीका पड़ने लगता है। पत्तियों पर बहुत ही छोटे-छोटे पीले बिंदु नुमा फफोले भी दिखने लगते हैं। 

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इस रोग के चलते फसल के पूरे पत्ते पाउडर नुमा बिंदुओं से ढक जाते हैं। गेहूं की फसल पट्टी रोली रोग पहले 10-15 पौधों में एक गोले के आकार में फैलते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरी फसल में फैलने लगता है।

नियमित करें फसल का निरीक्षण

किसान को गेहूं की फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए। अगर किसान को फसल में किसी भी तरह का संदेह लगता हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी कृषि विभाग/कृषि विज्ञान केंद्र/कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करना चाहिए। 

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अगर फसल में पट्टी रोली रोग लग जाता है, तो किसान को अनुशिंसित फफूंद नाशक का छिड़काव करना चाहिए। जैसे कि प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. या टेबुकोनाजोल 25.9 ईसी. का 1 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 200 लीटर घोल का प्रति एकड़ में जरूर छिड़काव करें। फिर किसान को 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से पट्टी रोली रोग का प्रभाव फसल पर कम होता है।

फसल को कैसे बचाएं

गेहूं की फसल को पट्टी रोली रोग से बचाने के लिए किसान को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, किसान को अपने खेत में जल जमाव होने की स्थिति में नाइट्रोजन युक्त से अधिक मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। किसानों को बल्कि अपने खेत में विभागीय/खंडीय सिफारिश अनुसार की उर्वरक और कीटनाशक की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

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