Himachal News: हिमाचल में भांग की खेती को कानूनी जामा पहनाने की चर्चा फिर शुरू

Cannabis Cultivation in Himachal: सीपीएस सुंदर ठाकुर ने उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में भी भांग की खेती को वैध करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में भांग पाई जाती है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

 

शिमला। Himachal News: हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी जामा पहनाने की सियासी चर्चा फिर से शुरू हो गई है। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में भी भांग की खेती को वैध करने की वकालत की है।

उनका कहना है कि औद्योगिक व औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती को किया जा सकता है। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर ठाकुर ने कहा कि उत्तराखंड में वर्ष 2017 में भांग की खेती के लिए नीति बनी। बिहार व राजस्थान भी इसके लिए नीति बनाने की तैयारी में हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल में भांग पाई जाती है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक व औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती को वैध बनाया जाना चाहिए।

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ठाकुर ने कहा कि भांग का इस्तेमाल कैंसर की दवाईयों में होता है, लेकिन विडंबना है कि इसकी दवाईयां विदेश से आ रही हैं, जबकि हिमाचल में भांग से दवाईयां तैयार की जा सकती हैं।

उन्होंने कहा कि इसके रैशे का इस्तेमाल कपड़े तैयार करने में किया जाता है। इससे हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सकता है। उनका कहना था कि पूरे विश्व में इसका इस्तेमाल हो रहा है।

ऐसे में प्रदेश में इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भांग का नशे के लिए इस्तेमाल करने पर पाबंदी को जारी रखना चाहिए, लेकिन दूसरे उपयोग के लिए इसके नशे मुक्त किस्म की खेती की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भांग का औद्योगिकी इस्तेमाल होने पर रोजगार भी मिलेगा। 

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कर्ज के बोझ के तले दबा है हिमाचल 

हिमाचल करीब 73 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबा है। प्रदेश में पूर्व जयराम सरकार के वक्त भी भांग की खेती को कानूनी जामा पहनाने की नीति पर चर्चा हुई।

पूर्व सरकार के वक्त किए गए आकलन के मुताबिक भांग की खेती को वैध बनाए जाने की स्थिति में हिमाचल को हर साल 18 हजार करोड़ का राजस्व आ सकता है।

इससे प्रदेश को आर्थिक तौर पर संबल मिलेगा। गौर हो कि प्रदेश में हर साल औसतन करीब 950 करोड़ की चरस का अवैध कारोबार होता है। 2400 एकड़ भूमि पर भांग की अवैध खेती होती है।

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