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हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मिल सकता है मौका, पूर्व मंत्रियों के चेहरों पर शिकन

EX Haryana Health Minister Anil Vij: हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मिल सकता है मौका, पूर्व मंत्रियों के चेहरों पर शिकन 
मनोहर मंत्रिमंडल के आठ चेहरों को अभी तक सरकार में जगह नहीं मिली है। इनमें पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, पूर्व शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता, पूर्व विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली तथा राज्य मंत्रियों में ओमप्रकाश यादव, कमलेश ढांडा, अनूप धानक व सरदार संदीप सिंह शामिल हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, देवेंद्र सिंह बबली और अनूप धानक जजपा कोटे से कैबिनेट में शामिल थे। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद तीनों का मंत्रिमंडल से हटना भी तय था।

चंडीगढ़। हरियाणा में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद अब कई पुराने मंत्रियों का भी पत्ता कट सकता है। मनोहर लाल के इस्तीफे के साथ ही पूरी कैबिनेट भंग हो गई। अब नायब सिंह सैनी के नये सीएम बनने और उनके साथ पांच कैबिनेट मंत्रियों की ओथ के बाद राज्य मंत्रिमंडल में मंत्रियों के आठ पद रिक्त हैं। इन पदों को लेकर विधायकों में लॉबिंग तेज हो गई हैं। सबसे अधिक धड़कनें उन विधायकों की बढ़ी हुई हैं, जो मनोहर कैबिनेट में शामिल थे।

अनिल विज को कैबिनेट में जगह नहीं

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल व अम्बाला कैंट से विधायक अनिल विज शपथग्रहण समारोह से पहले ही नाराज होकर अपने निवास पर आ गए थे। विज 2014 से लगातार हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनते आ रहे हैं। अनिल विज को लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सरकार में हुए बदलाव के दौरान मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।

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दूसरे मंत्रिमंडल में विज को जगह मिलती है या नहीं यह एक दो दिन में साफ हो जाएगा। नायब सिंह सैनी अम्बाला के नारायणगढ़ हलके से 2014 में विधायक बने थे। मनोहर पार्ट-। में वे राज्य मंत्री रहे। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उन्हें कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा। वे लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे। माना जा रहा है कि नायब सिंह सैनी के अंबाला जिले से होने की वजह से ही अनिल विज को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है।

अनिल विज का कई बार सरकार से टकराव भी देखने को मिला है। पिछले साल उन्होंने दो महीनों से भी अधिक समय तक स्वास्थ्य विभाग का कामकाज इसलिए छोड़ दिया था, क्योंकि सीएमओ के एक अधिकारी की कार्यशैली से वे नाराज थे। विज की नाराज़गी के चलते ही सरकार को डॉ़ सोनिया त्रिखा खुल्लर को समय से पहले स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा की महानिदेशक पद से हटाना पड़ा था। इससे पहले भी विज के कई बार सीएमओ के साथ सार्वजनिक तौर पर विवाद हो चुके हैं।

जजपा के पांच विधायक भाजपा के साथ

हालांकि अब नये समीकरण यह बन रहे हैं कि जजपा के दस में से पांच विधायक खुलकर भाजपा के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली, गुहला विधायक ईश्वर सिंह, नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम, बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग व नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा शामिल हैं। रामकुमार गौतम को छोड़कर चारों विधायक नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में भी पहुंचे हुए थे। वहीं प्रदेश की राजनीति में हुए इस घटनाक्रम के बाद जजपा ने नई दिल्ली में बैठक बुलाई।

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अजय चौटाला की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, बाढ़डा विधायक नैना सिंह चौटाला, जुलाना विधायक अमरजीत सिंह ढांडा, शाहाबाद विधायक रामकरण काला और उकलाना विधायक अनूप धानक मौजूद रहे। जजपा के पांच विधायकों के नई दिल्ली की बैठक में नहीं पहुंचने से चर्चाओं का बाजार गर्म है।

पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं

इस तरह की भी अटकलें हैं कि जजपा विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पांच ही विधायक अगर जजपा से अलग होते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है। दस विधायकों में से दो तिहाई यानी सात विधायक अगर इकट्ठे होते हैं तो उनका दल बदल कानून के तहत भाजपा में विलय भी हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, सबसे अधिक बेचैनी निर्दलीय विधायकों में है।

कौन हैं ये विधायक 

सात निर्दलीय विधायकों में से छह – चौ़ रणजीत सिंह, नयनपाल रावत, सोमबीर सिंह सांगवान, धर्मपाल गोंदर, रणधीर सिंह गोलन व राकेश दौलताबाद ने सरकार को समर्थन दिया हुआ है। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू सरकार के साथ नहीं हैं। सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी सरकार के साथ हैं। सरकार में हुए इस बदलाव के बाद निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद है।

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हालांकि अभी तक केवल चौ़ रणजीत सिंह को ही कैबिनेट में जगह मिली है। सूत्रों का कहना है कि निर्दलीय विधायकों की एडजस्टमेंट को लेकर बातचीत जारी है। अगले कुछ दिनों में ही कैबिनेट का विस्तार करके निर्दलीयों को भी एडजस्ट किया जा सकता है। इसी तरह से भाजपा में भी कई विधायक ऐसे हैं, जो जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से मंत्रिमंडल में शामिल होने की जुगत में हैं। इतना तय है कि मनोहर कैबिनेट में शामिल रहे सभी मंत्रियों को रिपीट नहीं किया जाएगा।

संदीप सिंह का मामला 

सरकार में हुए इस बदलाव की वजह से पिहोवा विधायक व मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रहे सरदार संदीप सिंह की कुर्सी पर तलवार लटक गई है। संदीप सिंह जूनियर महिला कोच के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे हैं। विपक्ष भी लगातार सरकार पर उनका इस्तीफा लेने का दबाव बना रहा था। सरकार ने विपक्ष के विरोध के बावजूद संदीप सिंह को कैबिनेट में बनाए रखा। माना जा रहा है कि अब उनके इस्तीफे के बाद फिर से उनकी कैबिनेट में एंट्री होने की कम ही संभावना है।

भव्य बिश्नोई को मौका

पूर्व सीएम स्व़ चौ़ भजनलाल के पोते और आदमपुर से भाजपा विधायक भव्य बिश्नोई की कैबिनेट विस्तार में लाटरी लग सकती है। हिसार विधायक व पूर्व शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता को कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने की वजह से भी इसकी संभावना बढ़ गई है।

माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में राजस्थान की बिश्नोई बहुल सीटों को ध्यान में रखते हुए भाजपा भव्य को कैबिनेट में जगह दे सकती है। पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में ज्वाइन करने और आदमपुर से इस्तीफा देने के बाद भव्य को भाजपा ने उपचुनाव लड़वाया था।

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