1. Home
  2. Agriculture

Ground Water Conservation: भूजल उपयोग और भूजल संरक्षण वर्तमान और भविष्य के लिए क्‍यों जरूरी, जानिए ये खास कारण

Ground Water Conservation: भूजल उपयोग और भूजल संरक्षण वर्तमान एवं भविष्य की महती आवश्यकता: प्रियंका सौरभ

Conservation Of Ground Water: आज चिन्ता का विषय है कि साधन सम्पन्न लोग दैनिक जीवन में जल के बेतहाशा दोहन के साथ-साथ जल को मनोरंजन के रूप में दुरूपयोग कर रहे हैं। हमें यह जान लेना चाहिए कि यह एक सीमित संसाधन है एवं समूचे जीव जगत की सम्पदा है।

Ground Water Conservation: प्रियंका सौरभ: कृति ने हमें सभी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई है। परन्तु व्यक्ति की जल के प्रति स्वार्थ की प्रवृत्ति एवं लापरवाही, इस उपहार को युद्ध का कारण बना रही है। आज चिन्ता का विषय है कि साधन सम्पन्न लोग दैनिक जीवन में जल के बेतहाशा दोहन के साथ-साथ जल को मनोरंजन के रूप में दुरूपयोग कर रहे हैं।

हमें यह जान लेना चाहिए कि यह एक सीमित संसाधन है एवं समूचे जीव जगत की सम्पदा है। वस्तुतः जल पर प्रत्येक जीव (पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, गरीब एवं अमीर) का अधिकार है। आज शहरी वातावरण एवं साधन संपन्न क्षेत्र में रहते हुए हम पानी की कमी का वास्तविक आंकलन नहीं कर पा रहे हैं।  

भारत भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और 87% का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने वर्ष 2022 के लिए पूरे देश के लिए "गतिशील भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट" जारी की।

मूल्यांकन केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। पृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रत्येक जीव का जीवन जल पर ही निर्भर होता है। अतः इसकी उपलब्धता नितान्त आवश्यक है।

ये भी पढ़ें: सानिया मिर्जा और शोएब मलिक की लाइफ में कौन सा तूफान आया, जानिए इस पाकिस्तानी एक्ट्रेस के बारे में

पानी को हम प्रकृति का मुफ्त या निशुल्क उपहार समझते हैं, जब वस्तुस्थिति यह है कि पानी प्रकृति का मुफ्त नहीं वरन् बहुमूल्य उपहार है। अतः यदि हमने जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग एवं संरक्षण नहीं किया तो हमारे अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा।

 प्रकृति ने हमें सभी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई है। परन्तु व्यक्ति की जल के प्रति स्वार्थ की प्रवृत्ति एवं लापरवाही, इस उपहार को युद्ध का कारण बना रही है। आज चिन्ता का विषय है कि साधन सम्पन्न लोग दैनिक जीवन में जल के बेतहाशा दोहन के साथ-साथ जल को मनोरंजन के रूप में दुरूपयोग कर रहे हैं।

हमें यह जान लेना चाहिए कि यह एक सीमित संसाधन है एवं समूचे जीव जगत की सम्पदा है। वस्तुतः जल पर प्रत्येक जीव (पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, गरीब एवं अमीर) का अधिकार है। आज शहरी वातावरण एवं साधन संपन्न क्षेत्र में रहते हुए हम पानी की कमी का वास्तविक आंकलन नहीं कर पा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा बीसीसीआई का फैसला नहीं, सरकार पर निर्भर करता है निर्णय: रोजर बिन्नी

2022 के आकलन से पता चलता है कि भूजल निष्कर्षण (16 बीसीएम) 2004 के बाद से सबसे कम है। भूजल निष्कर्षण में कमी बेहतर जल प्रबंधन का संकेत दे सकती है। 2017 के आकलन डेटा की तुलना में देश में 909 मूल्यांकन इकाइयों में भूजल की स्थिति में सुधार।

पूरे देश के लिए कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 437.60 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव राज्यों में भूजल निकासी बहुत अधिक है जहां यह 100% से अधिक है।

दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में भूजल निकासी 60-100% के बीच है। बाकी राज्यों में भूजल निष्कर्षण 60% से नीचे है। भूजल के उपयोग को नियंत्रित करने वाला कोई केंद्रीय कानून नहीं है और

ये भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया की टीम साउथ अफ्रीका को हराए और हम ऑस्ट्रेलिया को, तभी बनेगी बात

इसके निष्कर्षण को विनियमित करने के लिए विभिन्न राज्यों के अपने कानून हैं जो एक लापरवाह तरीके से लागू किए जाते हैं। राष्ट्रीय जल नीति के एक मसौदे में पानी की खपत वाली फसलों से उपयोग में बदलाव और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए मीठे पानी पर पुनर्नवीनीकरण को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है।

उन क्षेत्रों में जल तालिका में सुधार करने के लिए जहां इसका अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, खेत में जल प्रबंधन तकनीकों और बेहतर सिंचाई विधियों को अपनाया जाना चाहिए। उदा. भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के तरीके।

जल संसाधनों की कमी को कम करने के लिए जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए घर से निकलने वाला पानी सिंचाई का एक उत्कृष्ट स्रोत है। कृषि बिजली-मूल्य निर्धारण संरचना को नया रूप देने की आवश्यकता है क्योंकि बिजली की समान दर भूजल के उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

ये भी पढ़ें: बीसीसीआई ने लिया बड़ा फैसला, पुरुष और महिला क्रिकेटरों दोनों को मिलेगा समान वेतन

दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भूजल संसाधनों के अत्यधिक दोहन की निगरानी के लिए एक नीति होनी चाहिए। उदा. अति प्रयोग की निगरानी के लिए पानी के मीटर लगाए जा सकते हैं। भूजल की कमी दिन-ब-दिन एक खतरनाक समस्या बनती जा रही है।

अटल भुजल योजना जैसी योजनाओं का लाभ उठाना, जो संस्थागत ढांचे को मजबूत करने और स्थायी भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए सामुदायिक स्तर पर व्यवहारिक परिवर्तन लाने का प्रयास करती है, महत्वपूर्ण है।

जल स्तर प्रतिवर्ष एक फीट की गति से नीचे जा रहा है आज विकट स्थिति बन चुकी है कि निरंतर पृथ्वी माता की गोद से भूजल रूपी अमृत निकालते रहने के कारण देश के अधिकांश हिस्से ब्लॉक डार्क जोन में आ चुके हैं और यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है

ये भी पढ़ें: नए पब्लिशर के साथ भारत में जल्द वापसी कर सकती है BGMI

इस स्थिति से देश का कोई भी हिस्सा बच नहीं पाया है। कई शहरों में टैंकर की पानी की आपूर्ति के एकमात्र साधन बन चुके हैं। देहाती क्षेत्रों में तो स्थिति बड़ी विकट है, वहाँ अधिकांश महिलाएँ घर की जल व्यवस्था में अपना बहुत समय एवं श्रम लगाती हैं। 

जल के अंधाधुध दोहन से जमीन के नीचे के भंडार तो खाली हो ही रहे हैं, नदियाँ भी वर्षा के कुछ माह बाद ही सूख जाती है तथा कई समाप्त होने के कगार पर हैं। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फण्ड के प्रतिवेदन के अनुसार नदियों में जल की कमी होने का कारण जलवायु परिवर्तन और पानी का अत्यधिक दोहन है।

ये भी पढ़ें: विराट कोहली की एक दिन की कमाई जानकर चौंक जाएंगे आप, पत्नी अनुष्का भी कमाई के मामले में पीछे नहीं 

हमें ट्विटर और गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आप HaryanaNewsPost के Google News पेज और Twitter पेज से जुड़ें और फॉलो करें।