Karnal Bunt : करनाल बंट से गेहूं की फसल को समय रहते बचाएं किसान, नहीं तो भुगतना पड़ सकता है
पानीपत। Karnal Bunt se gehu ko kaise bachaye : गेहूं की फसल को करनाल बंट के प्रकोप से बचाने के लिए गेहूं से बाली निकलने की अवस्था में सिंचाई नहीं करना चाहिए. फसल में करनाल बंट की रोकथाम के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या टेबूकोनाजोल 25 ईसी का 0.1 प्रतिशत घोल पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
करनाल बंट से गेहूं को कैसे बचाएं
किसानों को सलाह है कि फरवरी के महीने में इसका छिड़काव करें. इस बीमारी के प्रकोप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा जा सकता है कि जो गेहूं की खरीदारी करने वाली और संग्रहण करने वाली एजेंसियां इस रोग से रहित क्षेत्रों से ही गेहूं की खरीदारी करती हैं।
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क्योंकि संग्रहित करने के बाद इस रोग के प्रकोप के कारण उन्हें भी नुकसान हो जाता है. इसके अलावा किसान करनाल बंट रोधी गेंहू की प्रजातियां पीबी डब्ल्यू 502, पीबी डब्ल्यू 238 और डब्ल्यू.एच 89 का प्रयोग कर सकते हैं।
सिंचाई नहीं करना चाहिए
गेहूं की फसल को करनाल बंट के प्रकोप से बचाने के लिए गेहूं से बाली निकलने की अवस्था में सिंचाई नहीं करना चाहिए. फसल में करनाल बंट की रोकथाम के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या टेबूकोनाजोल 25 ईसी का 0.1 प्रतिशत घोल पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
चेंपा कीट से कैसे बचें
इसके अलावा गेहूं की फसल में चेंपा या माहु कीट का प्रकोप होता है. इस कीट का प्रकोप शुरू होते ही खेत के किनारों पर 3-5 मीटर पट्टी में चारों और इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल का 100 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़काव करें।
ऐसा करने से कीट के पनपने पर रोक लग जाती है. खेत के अंदर मित्रकीट जैसे कोक्सीनीलीड बीटल, क्राइसोपा, सिरफिड मक्खी इत्यादि पनपते हैं, जो चेंपा को खा जाते हैं. इस तरह से कीट पर नियंत्रण हासिल करने में सफलता मिलती है।
क्या है ये रोग
गेहूं की खेती भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. धान के बाद देश में सबसे अधिक इसकी खेती और खपत होती है. इसलिए इसके उत्पादन पर खासा ध्यान देना पड़ता है।
इसके बेहतर उत्पादन के लिए उन्नत किस्म के बीज से लेकर खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उत्पादन पर असर क्या
तब जाकर किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है. गेहूं की फसल में करनाल बंट एक ऐसा रोग है जिससे फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है. इस रोग का प्रकोप होने पर गेहूं के दानों के अंदर काला चूर्ण बन जाता है जिसके कारण भ्रूण भाग बंद हो जाता है. दाना अंदर से खोखला हो जाता है और इसकी अंकुरण क्षमता भी कम हो जाती है।
ऐसे मिलेगा छुटकारा
जिन क्षेत्रों में करनाल बंट का प्रकोप अधिक होता है उन खेतों में दो से तीन वर्ष तक लगातार कठिया गेहूं की प्रजाति की बुवाई करने से खेत में करनाल बंट रोग से संक्रमित करने वाले कीट खत्म हो जाते हैं. इसके साथ ही जीरो टिलेज और कम से कम जुताई करके बुवाई करने से करनाल बंट का प्रकोप कम हो जाता है।
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